व्यथा से प्रवाहित शरीर अब अड़चनों का बोझ लगता हैं। व्यथा से प्रवाहित शरीर अब अड़चनों का बोझ लगता हैं।
इस तरह किसी की मदद को करने में सिर्फ पारिवारिक व्यवधान ही नहीं है सामाजिक व्यवधान भी इस तरह किसी की मदद को करने में सिर्फ पारिवारिक व्यवधान ही नहीं है सामाजिक ...
धर्म प्रकट करने मुनियों के श्री हरी फिर प्रकट हो गए। धर्म प्रकट करने मुनियों के श्री हरी फिर प्रकट हो गए।
इधर उधर, जाने किधर छुपा हुआ है तू मगर. इधर उधर, जाने किधर छुपा हुआ है तू मगर.
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बड़े बड़े भोग विलासी, मंच पर मिथ्या भाषी बड़े बड़े भोग विलासी, मंच पर मिथ्या भाषी